Future of E-Commerce in India

The full name of e-commerce is electronic commerce, e-commerce means doing business online and electronically.

Future of E-Commerce in India

ई-कॉमर्स का का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (Electronic Commerce) है, ई-कॉमर्स से मतलब ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार करना है। ई-कॉमर्स ने व्यापार की पारंपरिक धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है। ई-कॉमर्स इंटरनेट और कंप्यूटर नेटवर्क की मदद से सामान और सेवाओं की खरीद और बिक्री से संबंधित है।

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या ई-कॉमर्स में मुख्य रूप से इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर माल या सेवाओं का मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, बिक्री, खरीद आदि शामिल है। मोटे तौर पर इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का अर्थ है कई इलेक्ट्रॉनिक तरीकों के माध्यम से व्यवसाय करना।

ई-कॉमर्स उद्योग की संभावनाएं (E-Commerce Industry Prospects)

ई-कॉमर्स ने भारत में व्यापार करने के तरीके को बदल दिया है। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार के 2020 तक 46.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 तक 111.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। 2030 तक, इसके 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2024 तक 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2026 तक 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

जुलाई 2021 तक, भारत में इंटरनेट कनेक्शन की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 784.59 मिलियन हो गई, जो ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम द्वारा संचालित थी। कुल इंटरनेट कनेक्शनों में से 61% कनेक्शन शहरी क्षेत्रों में थे, जिनमें से 97% कनेक्शन वायरलेस थे।

भारत में इंटरनेट कारोबार का क्षेत्र तेजी से वृद्धि रहा है। भारत में ई-कॉमर्स का तेजी से विकास और इंटरनेट तक पहुंच और आसानी से उपलब्ध स्मार्ट फोन के कारण है। इसके अलावा अनुकूल जनसांख्यिकी (favorable demographics) और डिजिटलीकरण के सरकारी प्रयास भी भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ा रहे हैं।

भारत में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में Flipkart, Amazon, Myntra, Paytm और Snapdeal आदि कंपनियां अग्रणी है। आज हम ऑनलाइन व्यापार के दौर में जी रहे हैं।

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भारत में ई-कॉमर्स बाजार का आकार (E-Commerce Market Size in India)

भारतीय ऑनलाइन किराना बाजार 2019 में 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2024 में 18.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 57% की सीएजीआर (CAGR) से बढ़ रहा है। भारत की उपभोक्ता डिजिटल अर्थव्यवस्था (Consumer Digital Economy) के 2030 तक 800 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद है।

ग्रांट थॉर्नटन” के अनुसार, भारत में ई-कॉमर्स की कीमत 2025 तक 188 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। 2020 में 50 अरब डॉलर के कारोबार के साथ, भारत ई-कॉमर्स के लिए आठवां सबसे बड़ा बाजार बन गया।

स्मार्टफोन का बढ़ता दायरा, 4जी नेटवर्क के विस्तार ने भारतीय ई-कॉमर्स बाजार के 2017 में 38.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2026 तक 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।

चीन और अमेरिका के बाद, भारत के पास 2020 में 14 करोड़ के साथ तीसरे सबसे ज्यादा ऑनलाइन खरीददारी करने वाले लोग थे। देश में नेक्स्ट-जेन मोबाइल ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी शुरू होने से पहले ही भारतीय उपभोक्ता तेजी से 5जी स्मार्टफोन को अपना रहे हैं।

2020 में स्मार्टफोन शिपमेंट 150 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया और 5G स्मार्टफोन शिपमेंट 4 मिलियन को पार कर गया।

नई टेक्नोलॉजी का उपयोग (Use of New Technology in E-Commerce)

ई-कॉमर्स उद्योग भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को वित्त पोषण, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण के माध्यम से सीधे प्रभावित कर रहा है और अन्य उद्योगों पर भी इसका अनुकूल/प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग तेजी से विकास पथ पर है और 2034 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार बनने की उम्मीद है। डिजिटल पेमेंट, लोकल लॉजिस्टिक्स और डिजिटल विज्ञापन जैसी टेक्नोलॉजी इस क्षेत्र में विकास को रफ़्तार प्रदान कर रहे है।

नई तकनीक ने ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में काफी मदद की है –

Conclusion

ई-कॉमर्स में बहुत सी नई चीजें हो रही हैं। ई-कॉमर्स ने खरीदारी को आसान बना दिया है। भारत में ई-कॉमर्स उद्योग कई चुनौतियों के बावजूद तेजी से बढ़ रहा है। ई-कॉमर्स उद्योग वर्तमान में भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है।

ई-कॉमर्स में यह अभूतपूर्व वृद्धि स्मार्ट फोन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में वृद्धि, 3G/4G इंटरनेट सेवाओं का विस्तार, जनता में जागरूकता, सरकार के प्रयास जैसे कई कारण है। इसके अतिरिक्त सरकार को एक उचित कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि ई-कॉमर्स के विकास में बाधाओं को कम किया जा सके।

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