प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education in Hindi)
Meaning of Early Childhood Education in Hindi
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education in Hindi) या कहें कि बाल्यावस्था में मिलनेवाली शिक्षा किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। यह शिक्षा उसी समय से ही शुरू हो जाती है, जब बच्चा दो साल का होता है। प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा वह मजबूत नींव है जहां से बच्चे का लर्निंग फेज शुरू होता है।
बचपन का प्रारंभिक चरण महत्वपूर्ण होता है, इस समय घर पर माता-पिता और स्कूल में शिक्षकों को बच्चों पर पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक बाल्यावस्था से ही अगर आप शिष्टाचार, खेल, कला, हेल्थ और एकेडमी कॉन्सेप्ट्स जैसे बेसिक विषय बच्चे को साथ साझा करते रहते है तो आप उनमें आने वाले समय में एक प्रभावी बदलाव लाने में सक्षम होंगे।
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education) के डेवलपमेंट में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के शिक्षकों के पास पर्याप्त ज्ञान, उनका मिलनसार होना और केयर करने वाला स्वभाव और एक सुलभ रवैया होना चाहिए।
प्रारंभिक बचपन की अवधि (Period of Early Childhood in Hindi)
प्रारंभिक बचपन की अवधि को (also known as the period of early childhood) आठ वर्ष की आयु तक माना जाता है। प्रारंभिक बचपन को आठ वर्ष की आयु तक मानने का एक कारण यह है कि वह पूरी शिक्षा “प्ले ग्रुप के स्तर से प्री-प्राइमरी तक और प्री-प्राइमरी के स्तर से प्राइमरी तक” की सहज समझ हासिल कर सके।
प्रारम्भिक बाल्यावस्था की शिक्षा सभी के लिए काफी हद तक एक जैसी होती है। प्रारम्भिक बाल्यावस्था की शिक्षा में शामिल शिक्षकों का आचरण बहुत ही सहज और विनम्र होना अति आवश्यक है। शिक्षकों और अभिभावकों को उनके सीखने और खेलने जैसे अलग अलग पहलुओं पर एक साथ ध्यान देना चाहिए। ये बच्चे के सर्वांगीण (overall) विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रारंभिक बचपन की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों के कौशल और क्षमताओं को पहचानना और उभारना है ताकि वे कम उम्र से ही अपने कौशल और क्षमताओं को कुशलता से विकसित कर सकें।
प्रारम्भिक बाल्यावस्था की शिक्षा में सीखने की शुरुआत खेल से होती है, जब छात्र खेल गतिविधियों में आनंद लेना शुरू करते हैं, तो अगले स्तर पर, उन्हें उन्हें कलाकृतियां बनाना और उनमें रंग भरना सिखाना शुरू कर देते है जिससे उन्हें कला में रुचि विकसित करने में मदद मिलती है। अगले स्तर पर, छात्रों को एजुकेशनल कॉन्सेप्ट्स के बारे में बताया जाता है जैसे अक्षर, संख्या आदि।
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा का महत्व (Importance of Early Childhood Education in Hindi)
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education) को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यह किसी भी वर्ग के सभी सदस्यों द्वारा एक जैसा ही महसूस किया जाता है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि और व्यवसाय कुछ भी हो। बच्चों के जीवन के पहले तीन वर्ष महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

माता-पिता शिक्षित हैं या नहीं यह मायने नहीं रखता बल्कि शिक्षा के महत्व को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप शिक्षा के महत्त्व को पहचानने में सक्षम होंगे तो आप बच्चे के विकास में एक प्रभावी योगदान देने में सक्षम होंगे।
माता-पिता ही हैं, जो अपने बच्चों के शुरुआती विकास के लिए काफी हद तक समर्पित और जिम्मेदार होते हैं। तीन साल की उम्र तक बच्चे अपनी मां के करीब होते हैं और सभी गतिविधियों के लिए उन पर निर्भर होते हैं ।
जब बच्चे चार साल की उम्र में पहुँच जाते हैं, तो उन्हें यह एहसास होने लगता है कि उनके घर के बाहर भी एक दुनिया है, जिससे उन्हें परिचित होना है। प्रारम्भिक बाल्यावस्था की शिक्षा यही से उन्हें बच्चे से छात्र बनाने और उनकी मानसिक क्षमता विकसित करने और उनके कौशल और क्षमताओं में सुधार करने में मदद करती है।
भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में मजबूत करने के लिए और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए 2020 में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई है। जिसे 2040 तक लागू किये जाने का लक्ष्य रखा है।
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा का लक्ष्य (Goals of Early Childhood Education in Hindi)
बच्चे के विकास को बाल्यावस्था शिक्षा के प्रमुख लक्ष्यों में से एक माना जाता है और इसके लिए तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- बुनियादी ज्ञान का विकास
- बच्चे में अच्छे स्वास्थ्य की आदतों का विकास करना जैसे कपड़े पहनना, खाना, धोना, सफाई करना आदि
- सामाजिक व्यवहार विकसित करना